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UP Lok Sabha Election 2024: पूर्वांचल की पांच लोकसभा सीटों पर सज गईं सेनाएं, इस बार भी कांटे का मुकाबला होने की उम्मीद

UP Lok Sabha Election 2024: इन पांच सीटों में से जौनपुर और लालगंज की लोकसभा सीट पर बसपा ने जीत दर्ज की थी जबकि सपा के टिकट पर अखिलेश यादव आजमगढ़ सीट जीतने में कामयाब रहे थे।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 4 May 2024 5:40 AM GMT
Lok Sabha Election 2024
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Lok Sabha Election 2024  (photo: social media )

UP Lok Sabha Election 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी समेत पूर्वांचल की 13 लोकसभा सीटों पर छठवें और सातवें चरण में मतदान होना है। छठे चरण का बिगुल गत सोमवार को नामांकन शुरू होने के साथ बज गया है। लोकसभा के छठे चरण में जौनपुर, मछलीशहर,भदोही,आजमगढ़ और लालगंज सीटों पर सोमवार को नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई। भाजपा के लिहाज से इन सीटों को काफी मुश्किल माना जा रहा है।

पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान इन पांच सीटों में से जौनपुर और लालगंज की लोकसभा सीट पर बसपा ने जीत दर्ज की थी जबकि सपा के टिकट पर अखिलेश यादव आजमगढ़ सीट जीतने में कामयाब रहे थे। भदोही और मछलीशहर सीट पर भाजपा को जीत जरूर मिली थी,लेकिन इन सीटों पर कांटे की टक्कर होने के कारण भाजपा का जीत का मार्जिन ज्यादा नहीं था। मछलीशहर सीट तो भाजपा ने सिर्फ 181 मतों से जीती थी। इन पांचों सीटों पर सभी राजनीतिक दलों ने अपने पत्ते खोल दिए हैं और इस बार भी कांटे के मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही है।

आजमगढ़ लोकसभा सीट

समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाने वाली आजमगढ़ लोकसभा सीट पर 2019 के चुनाव में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने जीत हासिल की थी। हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव में करहल सीट से चुनाव जीतने के बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। 2022 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ ने सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को कड़े मुकाबले में हरा दिया था।

इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर दिनेश लाल यादव निरहुआ पर ही भरोसा जताया है जबकि सपा ने फिर धर्मेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतार कर उन्हें उपचुनाव की हार का बदला लेने का बड़ा मौका दिया है।

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती आजमगढ़ सीट पर तीसरी बार उम्मीदवार बदल दिया है। मायावती ने आज़मगढ़ सीट पर सबसे पहले पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर पर दांव लगाया था, लेकिन कुछ ही दिनों पर जारी नई सूची में उनका टिकट कट गया। इसके बाद बसपा ने महिला मुस्लिम उम्मीदवार शबीहा अंसारी को टिकट दिया। बाद में मायावती ने फिर बड़ा बदलाव करते हुए अब आजमगढ़ में महमूद आलम पर दांव लगाया है।

मायावती के इस कदम से मुस्लिम वोट बैंक में बंटवारे का बड़ा खतरा पैदा कर दिया गया है। मुस्लिम-यादव बहुल इस लोकसभा सीट पर तीनों दलों के बीच दिलचस्प मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही है।

लालगंज लोकसभा सीट

लालगंज सुरक्षित लोकसभा सीट पर भी तीनों दलों ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा की संगीता आजाद ने भाजपा की नीलम सोनकर को हराकर इस सीट पर जीत हासिल की थी। भाजपा ने इस बार फिर नीलम सोनकर को ही चुनाव मैदान में उतारा है जबकि सांसद संगीता आजाद ने बसपा से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है।

समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर दरोगा प्रसाद सरोज को चुनाव मैदान में उतार कर भाजपा को कड़ी चुनौती देने की कोशिश की है। दरोगा प्रसाद सरोज इस लोकसभा क्षेत्र से दो बार सांसद का चुनाव जीत चुके हैं और उनकी इस क्षेत्र पर मजबूत पकड़ मानी जाती है।

बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट पर प्रोफेसर इंदु चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है। इंदु चौधरी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अंग्रेजी की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और वे भी इस चुनाव में भाजपा और सपा को मजबूत चुनौती देने की कोशिश में जुटी हुई हैं।

जौनपुर

पूर्वांचल की सबसे दिलचस्प मुकाबले वाली सीटों में जौनपुर की लोकसभा सीट भी शामिल है। भाजपा ने इस बार इस सीट पर महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह पर दांव लगाया है। जौनपुर के मूल निवासी कृपाशंकर सिंह लंबे समय तक महाराष्ट्र की सियासत में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने इस लोकसभा क्षेत्र में किसी जमाने में बसपा मुखिया मायावती के काफी करीबी माने जाने वाले बाबू सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है। हालांकि सपा का एक खेमा कुशवाहा को बाहरी बताते हुए पूरी ताकत के साथ प्रचार में उदासीन बना हुआ है।

इस लोकसभा क्षेत्र में सबसे बड़ा सियासी खेल बसपा मुखिया मायावती ने किया है। उन्होंने बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह को चुनाव मैदान में उतार दिया है। इंजीनियर से रंगदारी मांगने और अपहरण के मामले में सजा सुनाए जाने के बाद धनंजय सिंह इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं मगर उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है। बरेली जेल से धनंजय सिंह की रिहाई हो चुकी है और अब वे श्रीकला की चुनावी रणनीति को उधार देने की कोशिश में जुटे हुए है। ऐसे में माना जा रहा है कि श्रीकला इस सीट पर पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ेंगी।

मछलीशहर लोकसभा सीट

जौनपुर के चार विधानसभा क्षेत्रों और वाराणसी के पिंडरा विधानसभा क्षेत्र को मिलाकर मछलीशहर लोकसभा सीट बनाई गई है और यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस लोकसभा क्षेत्र में पिछले दो चुनावों में भाजपा ने जीत हासिल की है और इस बार पार्टी सीट पर हैट्रिक लगाने की कोशिश में जुटी हुई है। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर काफी दिलचस्प मुकाबला हुआ था और भाजपा उम्मीदवार बीपी सरोज मात्र 181 मतों से जीतने में कामयाब हुए थे। उन्होंने बसपा प्रत्याशी त्रिभुवन राम को कड़े मुकाबले में हराया था।

2009 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर समाजवादी पार्टी के तूफानी सरोज ने जीत हासिल की थी और इस बार सपा ने उनकी अधिवक्ता बेटी प्रिया सरोज को चुनाव मैदान में उतारा है। बसपा ने इस सीट पर पंजाब कैडर के पूर्व आईएएस अफसर कृपा शंकर सरोज को टिकट दिया है। इस सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ने वाले तीनों प्रमुख दलों के प्रत्याशी पासी जाति से ताल्लुक रखने वाले हैं। सपा और बसपा दोनों ने इस सीट पर पूरी ताकत लगा रखी है जबकि पिछले चुनाव में नजदीकी जीत हासिल करने वाले बीपी सरोज भी पूरी मजबूती के साथ मैदान में डटे हुए हैं।

भदोही लोकसभा सीट

कालीन नगरी भदोही में भी इस बार रोचक मुकाबला हो रहा है। विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया में यह सीट तृणमूल कांग्रेस को मिली है और तृणमूल कांग्रेस ने मड़िहान विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर विधायक रह चुके ललितेश पति त्रिपाठी को चुनाव मैदान में उतारा है। ललितेश पति त्रिपाठी प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री पंडित कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र हैं। वे तृणमूल कांग्रेस के चुनाव निशान पर चुनाव मैदान में उतरे हैं।

भाजपा ने इस सीट पर इस बार टिकट बदलते हुए मझवां विधानसभा क्षेत्र से निषाद पार्टी के विधायक डॉ विनोद बिन्द को मैदान में उतारा है। बसपा ने इस सीट पर भदोही के कालीन व्यवसायी इरफान अहमद बबलू को टिकट दिया है। बबलू ने इससे पहले कोई चुनाव नहीं लड़ा है। भाजपा इस सीट पर पिछले दो चुनावों में जीत हासिल करती रही है और इस बार पार्टी हैट्रिक लगाने की कोशिश में जुटी हुई है। बसपा की ओर से मुस्लिम प्रत्याशी उतारे जाने से पार्टी को मुस्लिम मतों का फायदा मिल सकता है। भाजपा प्रत्याशी विनोद बिन्द ने भी क्षेत्र में पूरी ताकत लगा रखी है और इस बार इस लोकसभा सीट पर काफी रोचक मुकाबला हो रहा है।

Monika

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पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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