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Manipur Violence: सीबीआई ने खोला काला चिट्ठा, पुलिस वालों ने ही महिलाओं को किया था भीड़ के हवाले

Manipur Violence: पिछले साल जुलाई में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें देखा जा सकता था कि दो महिलाएं पुरुषों की भीड़ से घिरी हैं और उन्हें निर्वस्त्र घुमाया जा रहा है।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 1 May 2024 3:23 AM GMT
Manipur violence
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Manipur violence  (PHOTO: SOCIAL MEDIA )

Manipur Violence: मणिपुर हिंसा में सीबीआई ने बड़ा खुलासा किया है। मणिपुर में कुकी-जोमी समुदाय की दो महिलाओं को पुलिसकर्मियों ने ही कथित तौर पर उस भीड़ के हवाले कर दिया था जिसने उन्हें निर्वस्त्र कर घुमाया था। सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में कहा, कांगपोकपी जिले में इन महिलाओं ने पुलिसकर्मियों के सरकारी वाहन (जिप्सी) में शरण मांगी थी, लेकिन उन्होंने दोनों महिलाओं को शरण देने की बजाय करीब 1000 मेइती दंगाइयों की भीड़ को सौंप दिया। आरोपपत्र में कहा गया है कि इसके बाद दोनों महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया गया था। यह घटना राज्य में जातीय हिंसा के दौरान की है।

एक महिला करगिल युद्ध में शामिल सैनिक की पत्नी

आरोपपत्र का विस्तृत ब्यौरा देते हुए सीबीआर् के अफसरों ने ने कहा कि पीड़ित महिलाओं में से एक, करगिल युद्ध में शामिल सैनिक की पत्नी थी। अफसरों ने बताया कि महिलाओं ने पुलिसकर्मियों से उन्हें वाहन से सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए कहा था, लेकिन पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर उनसे कहा कि उनके पास वाहन की चाबी नहीं है और उन्होंने कोई मदद नहीं की।

पिछले साल जुलाई में वायरल हुआ था वीडियो

मणिपुर में पिछले साल चार मई की घटना के लगभग दो महीने बाद जुलाई में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें देखा जा सकता था कि दो महिलाएं पुरुषों की भीड़ से घिरी हैं और उन्हें निर्वस्त्र घुमाया जा रहा है। सीबीआई ने पिछले साल 16 अक्टूबर को गुवाहाटी में विशेष न्यायाधीश, सीबीआई अदालत के समक्ष छह आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया। आरोप पत्र में कहा गया है कि राइफल, एसएलआर, इंसास और .303 राइफल जैसे अत्याधुनिक हथियार से लैस लगभग 900-1,000 लोगों की भीड़ से बचने के लिए दोनों महिलाएं भाग रही थीं। इसमें कहा गया है कि एक भीड़ सैकुल थाने से लगभग 68 किमी दक्षिण में कांगपोकपी जिले में उनके गांव में जबरदस्ती घुस गई थी।

भीड़ से बचने के लिए महिलाएं जंगल में भागीं

भीड़ से बचने के लिए महिलाएं अन्य पीड़ितों के साथ जंगल में भाग गईं, लेकिन दंगाइयों ने उन्हें देख लिया। अफसरों ने बताया कि भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने महिलाओं को मदद मांगने के लिए सड़क किनारे खड़े पुलिस वाहन के पास जाने के लिए कहा। दोनों महिलाएं पुलिस वाहन में घुसने में कामयाब हो गईं जिसमें दो पुलिसकर्मी और चालक पहले से बैठे थे, जबकि तीन-चार पुलिसकर्मी वाहन के बाहर थे।

पुलिस ने मदद नहीं की

पीड़ितों में शामिल एक पुरुष भी वाहन के अंदर जाने में कामयाब रहा और वह चालक से उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए गुहार लगाता रहा, लेकिन उसे भी यही बताया गया कि ’चाबी’ नहीं है। पीड़ितों में से एक के पति ने असम रेजिमेंट के सूबेदार के रूप में भारतीय सेना में काम किया था। सीबीआई का आरोप है कि पुलिस ने वाहन में बैठे व्यक्ति के पिता को भी भीड़ के हमले से बचाने में मदद नहीं की।

सीबीआई के आरोपपत्र से तो यही साबित होता है कि पुलिस ने हिंसा पर नियंत्रण के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाया।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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