Jhansi News: भूमिगत जलस्तर और गिरा नीचे, हैंडपम्प, तालाब और बावड़ियाँ सूखीं

Jhansi News: वर्ष 2023 के सर्वे रिपोर्ट में जनपद के बामौर के बाद मऊरानीपुर में 9.68 मीटर और गुरसरांय में 8.43 मीटर भूमिगत जलस्तर पाया गया।

Report :  Gaurav kushwaha
Update: 2024-05-04 06:49 GMT

झांसी में जलस्तर नीचे गिरा (न्यूजट्रैक)

Jhansi News: जनपद का भूमिगत जलस्तर बहुत नीचे चला गया है । बामौर ब्लॉक की हालत बहुत खराब है यहां भूमिगत जलस्तर 12.24 तक नीचे तक गिर गया है। ऐसे में गांवों के कुंओं, पोखर, तालाब व हैंडपंपों की दशा भी खराब है। यदि मानसून समय पर दस्तक नहीं देता है तो पानी को लेकर हालात और खराब हो सकते हैं। फिलहाल नहरों से गांव के तालाबों को भरने की कवायद की जा रही है। भू-गर्भ जल विभाग द्वारा बीते वर्षों में जनपद के आठों ब्लॉक में भूमिगत जलस्तर को लेकर सर्वे किया। वर्ष 2023 के सर्वे रिपोर्ट में जनपद के बामौर के बाद मऊरानीपुर में 9.68 मीटर और गुरसरांय में 8.43 मीटर भूमिगत जलस्तर पाया गया। वहीं, विभाग ने सर्वे में पाया कि मानसून के बाद यहां दो से तीन मीटर तक जलस्तर में इजाफा होता है। यानि जो कुंए, तालाब और पोखर सूख गए थे उनमें पानी नजर आने लगता है। हैंडपंप पानी उगलने की स्थिति में आ जाते हैं । जिसकी वजह से यहां रबी की फसल हो जाती है।

मानसून बाद डेढ़ से दो मीटर तक बढ़ जाता है जलस्तर

मानसून के पश्चात जलस्तर में बढ़ोत्तरी होने के मामले में बड़ागांव और चिरगांव की हालत खराब है। हालांकि यहां का जलस्तर ठीकठाक है। बात करें बामौर की तो वर्ष 2023 में यहां मानसून से पहले जलस्तर 10.73 मीटर था जोकि वर्षा बाद 12.24 हो गया। यानि 1.51 मीटर जलस्तर बढ़ गया। जल स्तर बढ़ने में मोंठ ब्लॉक की हालत सबसे ठीक है। यहां वर्षा के पहले भूमिगत जलस्तर 2.43 मीटर था, वह मानसून के बाद बढ़कर 4.61 मीटर था यानि यहां 2.18 मीटर का इजाफा हुआ।

बह जाता है वर्षा जल

झांसी जनपद की भौगोलिक स्थिति बहुत विषम है। यहां भूमि ढालू और पथरीली है। यही वजह है कि वर्षा का अधिकांश जल बहकर चला जाता है। यदि इस वर्षा जल को भूमिगत जलस्तर से मिलाने का काम किया जाए तो जलस्तर बढ़ सकता है। हालांकि कृषि विभाग सहित अन्य विभागों द्वारा भूमिगत जलस्तर बढ़ाने के लिए बंधियां, चेकडैम, खेत तालाब योजना पर काम किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि जब तक हम गांव के पानी को बाहर बहने देंगे तब तक भूमिगत जलस्तर में बढ़ोत्तरी मुमकिन नहीं है। साथ ही प्राकृतिक संसाधनों के रीचार्ज होने के उपाय भी ढूंढने होंगे।

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