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Lok Sabha Election: बसपा ने रोचक बनाया बांदा का चुनावी समर, इनके बीच होगा त्रिकोणीय मुकाबला

Banda News: बसपा का पत्ता खुलने से बुंदेलखंड के बांदा-चित्रकूट लोकसभा क्षेत्र में सजी चुनावी लड़ाई रोचक हो गई है। पटेल धुरंधरों के बीच युवा ब्राह्मण चेहरे को प्रत्याशी बनाने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।

Om Tiwari
Report Om Tiwari
Published on: 26 April 2024 11:18 AM GMT
There will be a triangular contest between SP, Shivshankar Patel, BJP, RK Patel and BSP, Mayank Dwivedi in Banda-Chitrakoot Lok Sabha constituency.
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बसपा से मयंक द्विवेदी, भाजपा आरके पटेल और सपा शिवशंकर पटेल: Photo- Newstrack

Banda News: बसपा का पत्ता खुलने से बुंदेलखंड के बांदा-चित्रकूट लोकसभा क्षेत्र में सजी चुनावी लड़ाई रोचक हो गई है। सपा ने RSS के खाटी स्वयंसेवक रहे पूर्व मंत्री शिवशंकर पटेल पर दांव लगाया है। भाजपा ने घाट घाट का पानी पीकर पार्टी में आए सांसद आरके पटेल को दोबारा मैदान में उतारा है। जबकि बसपा ने पटेल धुरंधरों के बीच युवा कार्यकर्ता मयंक द्विवेदी को प्रत्याशी बनाकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।

वर्चस्व के लिए ब्राम्हणों और कुर्मियों में होड़ का इतिहास

बांदा-चित्रकूट लोकसभा क्षेत्र ब्राम्हणों और कुर्मियों के राजनैतिक वर्चस्व के लिए जाना जाता है। बीते 17 चुनावों में 8 बार ब्राम्हण जीते हैं। 5 बार कुर्मियों को सफलता मिली है। 1-1 बार ठाकुर, कायस्थ, यादव और वैश्य विजयी हुए हैं। दलगत लिहाज से कांग्रेस ने 5, भाजपा (जनसंघ और जपा संस्करण समेत) ने 6 और भाकपा, बसपा व सपा ने 2-2 चुनाव जीते हैं।

2014 में ढही जातीय दीवारें खड़ा करने पर जोर

15वीं लोकसभा तक ज्यादातर मुकाबले ब्राम्हण और कुर्मी उम्मीदवारों के बीच सिमटे रहे हैं। 2014 में मोदी की आंधी ने जातीय दीवारें ढहा दी। 2019 में शायद पहली बार किसी भी दल ने किसी ब्राह्मण को उम्मीदवार नहीं बनाया। 2024 में भी इसके दोहराव की संभावना जताई जा रही थी। लेकिन लंबी खामोशी के बाद बसपा ने युवा ब्राह्मण चेहरे को मैदान में उतारकर भाजपा के माथे पर बल डाल दिए हैं। देखना होगा कि बीते दो चुनावों में ढही जातीय दीवारों के बीच क्या इस बार फिर वही पुराना रंग-ढंग दिखेगा। ब्राह्मण वर्सेज कुर्मी की चुनावी रार को नई धार मिलेगी?

सपा ने RSS के खाटी स्वयंसेवक रहे शिवशंकर पटेल पर लगाया दांव

सपा ने कांग्रेस से गठबंधन होने से पहले ही बांदा से शिवशंकर पटेल को प्रत्याशी घोषित कर दिया था। RSS के समर्पित स्वयंसेवक रहे पटेल 1996 में बबेरू विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक निर्वाचित हुए थे और प्रदेश सरकार में मंत्री भी बने। इसी दौरान पत्नी कृष्णा पटेल को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने में भी सफल रहे। बाद में वे भाजपा छोड़कर इधर-उधर भटकने के बाद बीते पंचायत चुनाव में सपा से जुड़े हैं। सपा ने पटेल को क्षमतावान मानते हुए 2022 में बबेरू विधानसभा क्षेत्र से पार्टी उम्मीदवार बनाया था। लेकिन 2007 और 2012 में बबेरू विधायक रहे विशंभर सिंह यादव के विरोध पर निर्णय बदलना पड़ा था। यादव ने तीसरी बार सपा की जीत का डंका बजाया था। सपा ने पटेल को अब लोकसभा चुनाव में दमखम दिखाने का मौका दिया है।

भाजपा ने सांसद आरके पटेल को उतारा, डरा रहा लगातार दोबारा न जीतने का इतिहास

भाजपा ने सांसद आरके पटेल को दोबारा मैदान में उतारा है। कर्वी विधानसभा क्षेत्र से कई बार बसपा विधायक और मायावती सरकार में मंत्री रहे पटेल 2009 में सपा से सांसद बनने के बाद 2017 में भाजपाई बन गए और मानिकपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित होने में सफल रहे। 2019 में भाजपा ने पटेल को लोकसभा प्रत्याशी बनाया और वह दोबारा दिल्ली पहुंच गए। पटेल तीसरी बार सांसद बनकर रामसजीवन के रेकार्ड की बराबरी करने को आतुर हैं। लेकिन लगातार दूसरी बार किसी के न जीतने का इतिहास चिंतित भी करता है। बसपा के दांव ने इस चिंता में इजाफा किया है।

बसपा ने युवा ब्राह्मण चेहरे को प्रत्याशी बनाकर बिगाड़े समीकरण

बसपा ने अपने युवा कार्यकर्ता मयंक द्विवेदी को प्रत्याशी बनाया है। मयंक नरैनी से 2007 में बसपा विधायक चुने गए पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी के बेटे हैं। मयंक पत्नी विनीतिका को जिला पंचायत सदस्य बनाने के बाद खुद जिला पंचायत सदस्य हैं। वैसे बसपा टिकट के अनेक प्रभावशाली लोग दावेदार थे। लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती ने खाटी कार्यकर्ता को तरजीह देकर बांदा में चुनावी समर को रोचक बना दिया है।

Shashi kant gautam

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