शनिवार के दिन शनिदेव को क्यों चढ़ाया जाता हैं सरसों का तेल

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शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने के पीछे पौराणिक और वैज्ञानिक दोनों कारण हैं. शनिदेव हिन्दू धर्म में शनिवार के दिन की देवता हैं.
शनिवार को उनकी पूजा और उन्हें निवेदन करने से भक्तों को उनके शुभाशयों की प्राप्ति होती है.
शनिदेव को हमेशा सम्मान और भक्ति के साथ याद किया जाता है, जिससे उनकी कृपा हमेशा भक्तों पर बनी रहे.
एक दीपक में सरसों का तेल भरकर जलाएं. दीपक को शनिदेव की प्रतिमा के समक्ष रखें. शनिदेव को ॐ शनिदेवाय नमः मंत्र का जाप करते हुए सरसों का तेल चढ़ाएं.
आइए जानते हैं शनिदेव को सरसो का तेल क्यों चढ़ाया जाता है
एक युद्ध में रावण के पुत्र मेघनाथ ने शनिदेव को पराजित कर घायल कर दिया था.
हनुमानजी ने युद्ध रोककर शनिदेव की पीड़ा कम करने के लिए उनके शरीर पर सरसों का तेल लगाया. इससे शनिदेव को आराम मिला और वे शीघ्र ही स्वस्थ हो गए.
तभी से शनिदेव को सरसों का तेल प्रिय माना जाता है और तभी से शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई.
शनिदेव का रंग काला माना जाता है. सरसों का तेल भी काले रंग का होता है. इसलिए, शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाया जाता है.
सरसों के तेल में कई औषधीय गुण होते हैं. यह रक्त संचार को बेहतर बनाता है, जोड़ों के दर्द से राहत देता है और त्वचा के लिए फायदेमंद होता है.
माना जाता है कि सरसों का तेल चढ़ाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं.